मौन रहने का अधिाकार
जुलाई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि सभी आरोपियों को ‘मौन रहने का अधिकार’ है।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान प्रत्येक व्यक्ति को आत्म-अपराध के खिलाफ अधिकार देता है।
- जांचकर्ता उन्हें बोलने या अपराध स्वीकार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। यह अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) से उत्पन्न होता है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) के अनुसार ‘किसी को भी अपने खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।’ यह प्रावधान अभियुक्त को आत्म-दोषारोपण के विरुद्ध अधिकार देता है, जो कानून का एक मौलिक सिद्धांत है।