भारत की प्राकृतिक वनस्पति

वनों के संदर्भ में भारत में एक व्यापक परिभाषा का अभाव है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया जा सके। उच्चतम न्यायालय के आदेश, जिसे टी.एन. गोडावरमन थिरुमुल्कपाद बनाम भारतीय संघ निर्णय के नाम से जाना जाता है, के अनुसार ‘वन’ शब्द को इसके ‘शब्दकोश के अर्थ’ के अनुसार समझा जाना चाहिये। इसी संदर्भ में वर्ष 1996 से राज्यों को वनों की अपनी परिभाषा निर्धारित करने के लिये अधिकार दिया गया है। वर्तमान समय में भारत में वनों के अंतर्गत सभी वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त वन शामिल हैं जिन्हें सामान्य रूप में आरक्षित, संरक्षित या अवर्गीकृत श्रेणी के रूप ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
प्रारंभिक विशेष