शक्तियों का पृथक्करण्

भारत का संविधान अन्तर्निहित स्वरूप में शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के विचार को स्वीकार करता है।

  • शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को निरपेक्ष रूप से मान्यता देने वाले कोई भी संवैधानिक प्रावधान न होने के बावजूद, भारत का संविधान सरकार के तीन अंगों के बीच कार्यों और शक्तियों के उचित पृथक्करण के प्रावधान करता है।
  • शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत शासन तंत्र को तीन शाखाओं- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में विभाजित करता है।
  • संविधान के विभिन्न प्रावधानों पर गौर करने से यह स्पष्ट होता है कि संविधान की मंशा है कि विधि निर्माण की शक्ति का प्रयोग विधायिका द्वारा ही ....
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