बायोमास को-फायरिंग

कोयले से संचालित विद्युत संयंत्रों में कोयले के साथ-साथ बायोमास का भी दहन करना 'को-फायरिंग' (सह-दहन) कहलाता है।

  • प्रत्यक्ष को-फायरिंग, अप्रत्यक्ष को-फायरिंग तथा समानांतर को-फायरिंग इसकी तीन अलग-अलग अवधारणाएं हैं।
  • कम पूंजीगत लागत, उच्च दक्षता, आर्थिक लाभ प्रदाता, बड़े आकार और पारंपरिक कोयला विद्युत संयंत्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन के कारण अल्प विद्युत लागत बायोमास को-फायरिंग के महत्वपूर्ण लाभ हैं।
  • भारत सरकार ने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के उपयोग व राष्ट्रीय मिशन अर्थात 'समर्थ (SAMARTH) मिशन' की शुरुआत की है। भारत में वित्त वर्ष 2020-21 तक केवल 8 विद्युत संयंत्रों में बायोमास को-फायरिंग की ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
प्रारंभिक विशेष