शक्तियों का पृथक्करण

भारत का संविधान अन्तर्निहित स्वरूप में शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के विचार को स्वीकार करता है।

  • शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को निरपेक्ष रूप से मान्यता देने वाले कोई भी संवैधानिक प्रावधान न होने के बावजूद, भारत का संविधान सरकार के तीन अंगों के बीच कार्यों और शक्तियों के उचित पृथक्करण के प्रावधान करता है।
    • शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत शासन तंत्र को तीन शाखाओं- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में विभाजित करता है।
  • संविधान के विभिन्न प्रावधानों पर गौर करने से यह स्पष्ट होता है कि संविधान की मंशा है कि विधि निर्माण की शक्ति का प्रयोग ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
प्रारंभिक विशेष