संसदीय संप्रभुता

संसदीय संप्रभुता (Parliamentary Sovereignty) का तात्पर्य कार्यकारी और न्यायिक निकायों सहित अन्य सभी सरकारी संस्थानों पर संसद की सर्वोच्चता से है। संसदीय संप्रभुता का सिद्धांत ब्रिटिश संसद से जुड़ा है।

  • संप्रभु विधायिका किसी भी कानून को बदल सकती है या निरस्त कर सकती है और संविधान जैसे किसी लिखित कानून से बाध्य नहीं होती है।
  • भारत में संसदीय संप्रभुता के स्थान पर संवैधानिक संप्रभुता पाई जाती है।
  • संविधान के विभिन्न प्रावधानों द्वारा संवैधानिक संप्रभुता को देखा जा सकता हैः
    • लिखित संविधान;
    • स्वतंत्र न्यायपालिका और न्यायिक समीक्षा;
    • संघीय संरचना;
    • सीमित संशोधन शक्ति;
    • राष्ट्रपति के वीटो द्वारा सीमा और
    • शक्तियों का विभाजन।
  • ....
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