भारत में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधान

जैव-चिकित्सा अपशिष्ट कोई भी ऐसा अपशिष्ट है, जिसमें संक्रामक या संभावित संक्रामक सामग्री होती है। ये अपशिष्ट मनुष्यों एवं पशुओं के निदान, उपचार और टीकाकरण के दौरान उत्पन्न होते हैं।

  • बायोमेडिकल अपशिष्ट ठोस और तरल दोनों रूपों में हो सकता है। बायोमेडिकल अपशिष्ट के उदाहरणों में शामिल हैं:
    • बेकार नुकीले उपकरण जैसे सुई, लैंसेट, सीरिंज, स्केलपेल और टूटा हुआ कांच।
    • मानव ऊतक या पहचाने जाने योग्य शरीर के अंग।
    • पशु चिकित्सालयों से पशु ऊतक एवं अपशिष्ट।
    • प्रयुक्त पट्टी, ड्रेसिंग, दस्ताने और अन्य चिकित्सा आपूर्ति।
    • संक्रमित क्षेत्रों से तरल अपशिष्ट।
    • प्रयोगशाला अपशिष्ट।

जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016

  • ये नियम उन सभी व्यक्तियों पर लागू होंगे, जो किसी ....
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