दल-बदल विरोधी कानून

52वें संविधान संशोधन 1985 के माध्यम से संविधान में 10वीं अनुसूची शामिल की गई थी, इसे ही सामान्यतः दल-बदल विरोधी कानून (Anti Defection Law) के नाम से जाना जाता है।

    • इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक लाभ और पद के लालच में दल-बदल करने वाले जन-प्रतिनिधियों को अयोग्य करार देना है, ताकि संसद या राज्य विधानमंडल की स्थिरता बनी रहे।
  • इस कानून के माध्यम से विधायकों को सदन के किसी अन्य सदस्य की याचिका पर विधायिका के पीठासीन अधिकारी द्वारा दलबदल के आधार पर अयोग्य ठहराया जा सकता है।
  • यदि किसी व्यक्ति को 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित कर दिया जाता ....
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