स्वतंत्रता संघर्ष के विभिन्न चरण

भारत में ब्रिटिश शासन की औपनिवेशिक नीतियों ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया था। जिसने परिणामस्वरूप सभी वर्गों में ब्रिटिश शासन के प्रति असंतोष विद्यमान था। इस भारतीय अंसतोष को जाग्रत करने में कई कारकों, जैसे 19वीं सदी में आरंभ हुए सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन, विभिन्न संस्थाओं व पत्र-पत्रिकाओं तथा पाश्चात्य विचारों ने अहम् भूमिका निभाई।

आरंभिक चरण

भारत में स्वतंत्रता संघर्ष का विकास क्रमबद्ध रूप में हुआ। यद्यपि ब्रिटिश विरोध का आरंभ कृषक व जनजातीय विद्रोह तथा 1857 के विद्रोह के माध्यम से हुआ किंतु इसे धरातल पर लाने का कार्य विभिन्न संस्थाओं की स्थापना से ....

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