परिसीमन आयोग के आदेश न्यायिक समीक्षा से मुक्त नहीं

हाल ही में, 'किशोरचंद्र छंगनलाल राठौड़ बनाम भारत संघ' मामले (2024) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि संवैधानिक न्यायालयों को परिसीमन आयोग के आदेशों की समीक्षा करने का अधिकार है।

  • दूसरे शब्दों में, यदि परिसीमन आयोग का कोई आदेश स्पष्ट रूप से मनमाना और संवैधानिक मूल्यों के प्रतिकूल है, तो उसकी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
  • हालांकि, पूर्व (2012) में गुजरात उच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 329 (ए) का संज्ञान लेते हुए परिसीमन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
    • इस प्रकार, उच्च न्यायालय का यह आदेश चुनावी मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप पर रोक लगाता ....
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