​दिव्यांगजनों के लिए सुगम्यता एक मौलिक अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

8 नवंबर, 2024 को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (वर्तमान में सेवानिवृत्त) ने एक फैसले में कहा कि दिव्यांगता तभी एक त्रासदी है, जब समाज दिव्यांगों को उनके जीवन जीने के लिए आवश्यक चीजें प्रदान करने में विफल हो।

  • राजीव रतूड़ी बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने पुष्टि की कि पर्यावरण, सेवाओं और अवसरों तक पहुंच का विकलांग व्यक्तियों का अधिकार एक आवश्यक मानवीय और मौलिक अधिकार है।
  • यह निर्णय नालसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के विकलांगता अध्ययन केंद्र द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर आधारित है। अध्ययन में जमीनी स्थिति का आकलन किया गया ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।

नियमित स्तंभ