‘टू फि़ंगर टेस्ट’ उपयोग पर प्रतिबंध

31 अक्टूबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने ‘टू-फिंगर टेस्ट’ के उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा, ऐसा कराने वालों को कदाचार का दोषी माना जाएगा।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • अदालत ने कहा कि यह परीक्षण ‘प्रतिगामी और आक्रामक’ है।
  • इसका ‘कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, क्योंकि यह बलात्कार के आरोपों को न तो साबित करता है और न ही अस्वीकार करता है’। इसके अलावा, ऐसी ‘सूचना’ का बलात्कार के आरोप से कोई लेना-देना नहीं है।
  • न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने नवंबर 2004 में झारखंड में एक नाबालिग लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में एक व्यक्ति की ....

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