आधुनिक तकनीक और संदर्भों के जरिये लोक कला की पुनर्कल्पना

  • शास्त्रीय कला रूपों के विपरीत लोक कलाओं की गतिशील और अनुकूलनीय प्रवृत्ति होती है, जो अक्सर समकालीन प्रभावों और रुझानों से प्रभावित होती है।
  • कला सिर्फ दर्शकों के मनोरंजन का साधन नहीं है, यह उनमें विस्मय की भावना का संचार करने और उनकी चेतना को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है।
  • कला के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग के कुछ जोखिम भी हैं। यह कला को केवल कंप्यूटेशनल एल्गोरिथम या गैर-मानवीय इलेक्ट्रॉनिक संगीत क्षेत्र के डिजिटल टैंफलेट्स तक सीमित कर रही ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।

नियमित स्तंभ