नाभिकीय संलयन: ऊर्जा संकट का समाधान

जब 1920 में ब्रिटेन के खगोल भौतिकशास्त्री आर्थर एडिंगटन (Arthur Eddington) ने सूर्य की ऊर्जा की वजह संलयन या फ्रयूजन को बताया था। इसके पश्चात वैश्विक स्तर पर नाभिकीय संलयन पर कार्य करने में तेजी आई।

  • नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया में दो हल्के नाभिक परस्पर संयुक्त होकर एक भारी तत्व के नाभिक की रचना करते हैं। नाभिकीय संलयन के फलस्वरूप जिस नाभिक का निर्माण होता है उसका द्रव्यमान संलयन में भाग लेने वाले दोनों नाभिकों के सम्मिलित द्रव्यमान से कम होता है। द्रव्यमान में यह कमी ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है।
  • नाभिकीय संलयन उच्च ताप एवं उच्च दाब पर सम्पन्न होता ....
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