गुरु-शिष्य परम्परा तथा योग वशिष्ठ के विशेष संदर्भ में नैतिक शिक्षा

  • ऋग्वेद में गुरु को आत्मज्ञान का स्रोत और प्रेरक, व्यक्तिगत विकास की आधारशिला के रूप में वर्णित किया गया है।
  • इसमें गुरु और उसके शिष्य के बीच का रिश्ता एक मां और उसके अजन्मे बच्चे के बीच के रिश्ते जैसा बताया गया है।
  • गुरु का सही अर्थ है वह जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है, इसमें 'गु' अज्ञान के अंधकार को दर्शाता है जबकि 'रु' का अर्थ है वह जो इसे दूर करता है।
  • नैतिकता, नैतिक सिद्धांतों का अध्ययन है जो अच्छे और बुरे व्यवहार के बीच अंतर करने में मदद करता है।
  • गुरु-शिष्य परंपरा की उत्पत्ति प्राचीन भारत में वैदिक ....
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