​संभावित CO2 सिंक के रूप में हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT मद्रास) के शोधकर्ताओं ने हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी को बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के भंडारण के लिए संभावित भंडारण सिंक के रूप में पहचाना है।

  • 'CO2 सीक्वेस्ट्रेशन' नामक इस प्रक्रिया में महासागर को ग्रीनहाउस गैस के भंडारण जलाशय की तरह कार्य करने हेतु परिकल्पित किया गया है, जिससे औद्योगिक क्लस्टरों को डी-कार्बोनाइज करने में मदद मिलेगी।
  • शोधकर्ताओं ने पाया कि तरल CO2 को समुद्र में 500 मीटर से अधिक गहराई में ठोस हाइड्रेट के रूप में स्थायी रूप से संग्रहीत किया जा सकता है।
  • ऐसा करने से समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचाए बिना ....
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