भारतीय ज्ञान प्रणाली की उपनिवेशीकरण से मुक्ति

  • जैन धर्म में जीव और अजीव का द्वैतवाद है, जबकि बौद्ध धर्म में कर्म और पुनर्जन्म को नैतिक उत्तरदायित्व के रूप में स्वीकार किया गया है।
  • स्वामी विवेकानंद ने तर्कसंगतता, शिक्षा और सार्वभौम धर्म के सिद्धांतों पर बल दिया, जिसे वे मानवतावाद के रूप में परिभाषित करते हैं।
  • चेतना को समझने और सत्य को जानने के साधन के रूप में भारतीय दर्शन 'मन' (मनस) को बहुत महत्व देता है।
  • अधिकांश भारतीय दर्शन ईश्वर और आत्मा के अस्तित्व में विश्वास करते हैं। इसका एक प्रमुख अपवाद चार्वाक है, जो भारतीय दर्शन का एक नास्तिक संप्रदाय है।
  • चार्वाक दर्शन सभी विचारधाराओं में सबसे अधिक ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।

नियमित स्तंभ