“सशक्त संस्थान (संवैधानिक एवं सांविधिक) मजबूत लोकतंत्र की नींव हैं|” इस कथन की आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए|

उत्तर: लोकतंत्र के मजबूत होने एवं सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक है कि इसके विभिन्न संवैधानिक एवं सांविधिक संस्थान सशक्त हो| लोकतंत्र में व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान होता है तथा राज्य व्यक्तिगत मामलों में कम से कम हस्तक्षेप करता है|

  • लोकतंत्र में इससे संबद्ध संवैधानिक एवं सांविधिक संस्थान अपने संवैधानिक तथा वैधानिक दायित्वों का निर्वहन उचित रीति से निर्वहन करते हैं| इन संस्थानों के सही से कार्य करने से जनता का इन संस्थानों पर विश्वास बढ़ता है जो अंततः लोकतंत्र को मजबूत बनाता है|
  • एक लोकतांत्रिक देश में संस्थानों का सशक्त होना इस तथ्य पर निर्भर ....
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