दंड का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके नैतिक औचित्य का वर्णन कीजिए?

उत्तर: मनुष्य की संज्ञानात्मक क्षमता के विकास के साथ सामाजिक व्यवस्था के संचालन हेतु दंड की अवधारणा का विकास अत्यंत प्राचीन माना जाता है। समाज में भ्रष्टाचार तथा अनैतिक गतिविधियों पर रोकथाम के लिए अन्य वैकल्पिक उपायों के अभाव में दंड आधुनिक समाजों में भी व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। भारत में कौटिल्य के अर्थशास्त्र से लेकर मध्यकाल तथा आधुनिक कानूनी व्यवस्था के सफल संचालन हेतु दंड के विभिन्न उपाय अपनाए जाते रहे हैं।

दंड के नैतिक औचित्य

  • नैतिकता की अवधारणा में यह बात अंतर्निहित है कि व्यक्तियों को उनके शुभ कर्मों के लिए पुरस्कार तथा अनुचित कर्मों ....
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