काँग्रेस के नरम दल की अनुनय-विनय की नीति ने अंततः क्रांतिकारी आंदोलन के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। समीक्षा कीजिये।

उत्तरः भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का विकास विभिन्न चरणों में हुआ है। 25 दिसंबर 1885 को कांग्रेस के गठन के पश्चात भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नवीन दिशा प्राप्त हुई।

कांग्रेस के नरम दल की अनुनय-विनय की नीति

  • 1885 में कांग्रेस के गठन के पश्चात 1905 के बंगाल विभाजन तक कांग्रेस में नरम दल का प्रभुत्व रहा। इस दल की नीतियों में मुख्य रूप से सरकार से सहयोग तथा प्रशासन में हिस्सेदारी की मांग शामिल थी। दादाभाई नौरोजी, व्योमेश बनर्जी, फीरोजशाह मेहता आदि के नेतृत्व में कांग्रेस का विश्वास अंग्रेजों के शासन तथा राजनीतिक प्रशिक्षण में था।
  • नरमपंथी नीतियों का पालन ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।

प्रश्न पत्र