भारत में बढ़ती बेरोजगारी समावेशी विकास में बाधक है। स्पष्ट कीजिए?

उत्तरः भारत में प्राचीन अवधारणा के रूप में ‘सर्वे भवन्तु सुखिन’ से लेकर स्वतंत्रता के पश्चात नियोजित आर्थिक विकास की प्रक्रिया को अपनाने का प्रमुख लक्ष्य समावेशी विकास को सुनिश्चित करना रहा है। विकास के उच्च स्तर के साथ गरीबी तथा बेरोजगारी में कमी एवं संसाधनों के कुशल वितरण को समावेशी विकास का अभिन्न अंग माना जाता है। समावेशी विकास के मार्ग में नीतिगत उपायों की असफलता के साथ-साथ गरीबी तथा बेरोजगारी जैसे अनेक कारक बाधक बने हुए हैं।

बढ़ती बेरोजगारी समावेशी विकास में बाधक

  • भारत में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।

प्रश्न पत्र