वर्तमान समय तक देश में आपदा प्रबंधन हेतु पारंपरिक प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण (Traditional Reactionary Approach) को अपनाया गया है। इस दिशा में, अगले चरण के रूप में देश में एक नवीन आपदा प्रबंधन नीति की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।

उत्तरः प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित आपदाएं जन-धन को व्यापक हानि पहुंचाती हैं। भारत की भौगोलिक एवं जलवायु विविधता के कारण प्रतिवर्ष लाखों लोग चक्रवात, बाढ़ तथा सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होते हैं।

परंपरागत प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण से संबंधित मुद्दे

यह दृष्टिकोण निवारक एवं आपदा न्यूनीकरण नीतियों की उपेक्षा करता है, जिससे जान-माल की चरण क्षति को बढ़ावा मिलता है।

  • इस में, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की अनुपस्थिति होती है, जिससे लोगों के लिए आपदाओं की गंभीरता का अनुमान लगाना भी मुश्किल हो जाता है।

नवीन आपदा प्रबंधन नीति की आवश्यकता

नवीन आपदा प्रबंधन नीति के तहत ऐसी नीतियों को अपनाया जाना चाहिए जो ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।

प्रश्न पत्र