Question : क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि किसी समाज की राजनीतिक संस्कृति उस समाज की राजनीतिक प्रणाली का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पक्ष होता है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण प्रस्तुत कीजिए।
(2006)
Answer : राजनीतिक संस्कृति सामान्य सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्था का भाग है। सामान्य संस्कृति की तरह ही राजनीतिक संस्कृति भी राजनीतिक सामाजीकरण के माध्यम से संप्रेषित या हस्तांतरित होती है। इस तरह यह सीखा हुआ राजनीतिक व्यवहार है, जो व्यक्तियों या समूहों में सामाजिक परिवर्तन के कारण नई परिस्थितियों के अनुकूल बनने की प्रक्रिया में उत्पन्न या निर्मित हो सकता है। ल्यूसिन पाई का कहना है कि एक राजनीतिक संस्कृति एक राजनीतिक व्यवस्था के सामूहिक इतिहास की भी उपज है और उन व्यक्तियों के जीवन इतिहासों की भी उपज है, जिन्होंने हाल ही में इस व्यवस्था को बनाया है। इस प्रकार से राजीनतिक संस्कृति की जड़ें सार्वजनिक घटनाओं एवं व्यक्तिगत अनुभवों में समान रूप से निहित रहती है। राजनीतिक संस्कृति को स्पष्ट रूप से समझने के लिए उसका किसी समाज के जनमत तथा राष्ट्रीय चरित्र के अंतर को भी समझ लिया जाना जरूरी है। जनमत तथा राष्ट्रीय चरित्र बहुत अधिक व्यापक शब्द हैं, जबकि राजनीतिक संस्कृति अपेक्षाकृत सीमित और निश्चित राजनीतिक अर्थ वाला है। किसी भी समाज की राजनीतिक व्यवस्था वहीं की राजनीतिक संस्कृति में व्याप्त एवं प्रभावित रहती है। वह उससे मार्ग निर्देशन प्राप्त करती है, प्रतिबंधित होती है तथा गतिमान एवं स्थिर होती है।
किसी राजनीतिक प्रणाली का विश्लेषण करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना पड़ता है कि राजनीतिक संस्कृति की प्रवृत्ति क्या है? उसकी दिशा क्या है? राजनीतिक संस्कृति प्रायः सार्वजनिक घटनाओं और व्यक्तिगत कार्यों की आधार होती है। उससे राजनीतिक प्रणाली के व्यवहार को समझने में सहायता मिलती है, जैसे-विधि का शासन, प्रजातंत्र का स्वरूप, औचित्यपूर्णता के आधार, विचारवाद, राष्ट्रवाद आदि की प्रकृति राजनीतिक संस्कृति के प्रकाश में ही स्पष्ट हो सकती है। राजनीतिक संस्कृति का राजनीतिक प्रणाली के मूल्यों, लक्ष्यों, नागरिक प्रशिक्षण, जनमत के तरीकों आदि पर प्रभाव पड़ता है। चूंकि राजनीतिक संस्कृति राजनीतिक प्रणाली के विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं धार्मिक पक्षों को समाहित करने वाले तत्व हैं, अतः राजनीतिक प्रणाली के समस्त क्रिया-कलापों को राजनीतिक संस्कृति की समग्रता में देखा जा सकता है। राजनीतिक विकास का मार्ग भी राजनीतिक संस्कृति की अनुकूलता को ढूंढता है और यदि उसे ऐसी अनुकूलता नहीं प्राप्त हो पाती तो वह राजनीतिक संस्कृति को ही बदलने का प्रयत्न करता है।
राजनीतिक संस्कृति एक राजनीतिक प्रणाली से दूसरी राजनीतिक प्रणाली में मात्रात्मक अंतर रख सकती है। साधारणतः एक राजनीतिक समाज की राजनीतिक संस्कृति दूसरे राजनीतिक समाज की राजनीतिक संस्कृति से साधारणतः भिन्न ही होती है। उदाहरण के लिए स्वेच्छाचारी शासन व्यवस्था में राजनीतिक संस्कृति, लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की राजनीतिक संस्कृति से सर्वाधिक मात्रत्मक अंतर रख सकती है। एक ही राजनीतिक समाज में अनेक उपसंस्कृतियां भी मौजूद हो सकती हैं, जो एक-दूसरे से विरोध या सामंजस्य रखने की स्थिति में हो सकती हैं। इन सबसे यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक संस्कृति के कुछ लक्षण ऐसे होते हैं, जिनसे ही राजनीतिक प्रणाली की संस्कृति का रूप निर्धारित होता है। विभिन्न राजनीतिक प्रणालियों का अध्ययन चाहे वह पश्चिमी या उन्नत देशों का हो या विकासशील देशों का, यह छाप छोड़ती है कि राजनीतिक स्थिरता व परिवर्तन के क्षेत्र में राजनीतिक संस्कृति बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन व फ्रांस के मामलों में विभेदक रेखा खींची जा सकती है।
ब्रिटेन की स्थिरता के अधिकतर भाग की व्याख्या उन श्रद्धापूर्ण नियमों द्वारा की जा सकती है, जो वहां के राजनीतिक व सामाजिक संबंधों पर छाए हुए हैं। वहीं फ्रांसीसी राजनीतिक संस्कृति के परंपरागत दृश्य को प्राधिकार की निरंकुश संकल्पना की सराहना की दृष्टि में देखा जा सकता है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि संसदीय लोकतंत्र की प्रणाली ऐसे लोगों पर नहीं थोपी जा सकती, जिनकी आस्था सर्वाधिकवाद के सिद्धांतों में है। शताब्दियों पहले जान स्टुअर्ट मिल अपने इस विचार में सही थे कि बर्बर लोगों के लिए निरंकुशवाद सबसे उत्तम शासन प्रणाली है, जबकि सभ्य लोगों के लिए बढि़या शासन प्रणाली प्रतिनिधि सरकार है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि किसी समाज की राजनीतिक संस्कृति उस समाज की राजनीतिक प्रणाली का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पक्ष होता है।