Question : चर्चा कीजिए कि 74वें सांविधानिक संशोधन के पश्चात्, ग्रामीण विकास के प्रक्रम को त्वरित करने में तृणमूल लोकतांत्रिक संस्थाएं किस सीमा तक सफल बना रही हैं?
(2007)
Answer : 73वें तथा 74वें संशोधन के द्वारा संविधान में ग्यारहवीं व बारहवीं अनुसूची तथा भाग-9 व भाग-9 (क) के जोड़े जाने से पंचायती व्यवस्था को सांविधानिक दर्जा प्राप्त हुआ है। इस संशोधन से ग्रामीण स्तर पर त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था तथा शहरों में आठ प्रकार की नगरपालिकाओं की क्रमशः स्थापना की गई है। इन संस्थाओं के वास्तविक रूप से प्रतिनिधित्मक बनाने के लिये निम्नतम स्तर पर भागीदारी मूलक व्यवस्था के अंतर्गत 18 वर्ष से ऊपर के सभी ....
Question : सु-शासन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, पंचायती राज संस्थाओं और जिला प्रशासन को एक नए संबंध का विकास कर लेना चाहिए।
(2007)
Answer : भारत में पंचायतें बहुत पुराने जमाने में भी विद्यमान थीं, मगर वर्तमान पंचायती संस्थायें इस मायने में नयी हैं कि उनको काफी अधिकार, साधन और जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। इसकी महत्त्व और उपयोगिता निम्न बातों से स्पष्ट हैः
Question : भारत में पंचायती राज संस्थाओं के कार्यण पर संविधान के 73वें संशोधन के प्रभाव को आलोकित कीजिए।
(2006)
Answer : किसी भी लोकतांत्रिक शासन पद्धति वाले देश में स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था अनिवार्य रूप में की जाती है। स्थानीय स्वशासन एक स्वतंत्र, सुसंगठित तथा शक्तिशाली देश के लिए नितांत आवश्यक है। स्थानीय स्वशासन (संस्थाएं) लोकतंत्र की आत्मा है। स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से जनता अपने शासन का प्रबंधन स्वयं करती है। इसलिए यह जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से चलाया जाता है। पंचायती राज अर्थात् पंचों के माध्यम से राज। यह ऐसी व्यवस्था की ....