ताम्र-पाषाणिक सभ्यता

सिन्धु सभ्यता के नगरीय जीवन के बाद उत्तर भारत के कतिपय क्षेत्रों में पुनः ग्रामीण संस्कृतियां परिलक्षित होती हैं।

  • इन ग्रामीण संस्कृतियों में पाषाण उपकरणों के साथ तांबे के उपकरणों का भी प्रयोग किया गया है। अतः पुरातत्त्वविद् इस संस्कृति को ‘ताम्र-पाषाणिक संस्कृति के नाम से अभिहित करते हैं।
  • ताम्रपाषाण संस्कृतियों ने कांस्य युग की हड़प्पा संस्कृति का अनुसरण किया। यह लगभग 2500 ईसा पूर्व से 700 ईसा पूर्व तक फैला था।
  • गोदावरी क्षेत्र में दायमाबाद स्थल स्थित था, जहां से सबसे बड़ी बस्ती, कलश शवाधान प्राप्त हुआ है।

प्रमुख ताम्रपाषाणिक संस्कृतियां

अहारः यह राजस्थान में है, जिसका प्राचीन नाम ताम्बबती है। यहां ....

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