चैत्य, विहार एवं स्तूप

बौद्ध और जैन दोनों ही धर्मों में पूजा-अर्चना के लिए चैत्य, विहारों एवं स्तूप का निर्माण किया जाता था। चैत्य एक प्रकार का पूजा कक्ष होता था, विहार निवास कक्ष और स्तूप बौद्ध प्रार्थना स्थल होता था।

  • शवदाह के पश्चात् बचे हुए अवशेषों को भूमि में दबाकर उनके ऊपर जो समाधियां बनाई जाती थी, उन्हीं को प्रारम्भ में चैत्य कहा गया।
  • स्तूप एक गोल टीले के आकार की संरचना है, जिसका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता था।
  • माना जाता है कभी यह बौद्ध प्रार्थना स्थल होते थे। महापरिनर्वाण के पश्चात महात्मा बुद्ध के अवशेषों को इसमें रखा ....
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