खान पान

  • पुरापाषाणकालीन जीवनः इस काल में मानव पूर्णतया प्रकृतिजीवी था।
    • कृषि कार्यों से अपरिचित होने के कारण वह सहज रूप से उत्पन्न होने वाले फल-फूल और कन्द-मूल, आखेट में मारे गये पशुओं तथा नदियों और झीलों के तटों पर पकड़ी गई मछलियों से ही अपना पेट भरता था।
  • मध्यपाषाणकालः इस काल में मनुष्य का प्रमुख उद्यम आखेट था।
    • आखेट में मारे गये पशु-पक्षियों के मांस और झीलों तथा नदियों के तटों पर पकड़ी गई मछलियों के अतिरिक्त वन में उत्पन्न फल-फूल और कंद-मूल भी पेट पालन के साधन थे।
  • नवपाषाणकालः इस युग में मुख्य रूप से मोटा अनाज (गेहूं, जौ, बाजरा) खाया जाने लगा। मवेशियों ....
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