पल्लव, चालुक्य एवं चोल स्थापत्य

पल्लव

पल्लवों ने वास्तुकला को कन्दरा कला तथा काष्ठकला से मुक्त किया। चट्टानों को काटकर मंदिर बनाने की प्रक्रिया पल्लवों के काल में आरम्भ हुई।

  • पल्लव कला को चार भागों में बांटा गया है-
    • महेंद्र वर्मन शैलीः इस शैली में मंदिर मंडप आकार के होते थे, जिनके बरामदे स्तम्भ युक्त हैं।
    • इन्हीं के समय वास्तुकला में ‘मंडप’ निर्माण प्रारंभ हुआ।
    • मामल्ल शैली या नरशिंहवर्मन शैलीः इस शैली में रथ तथा मंडप दोनों का निर्माण हुआ। इस शैली में निर्मित सभी स्मारक महाबलीपुरम में स्थित हैं। रथ शैली का मंदिर एक ही प्रकार के पत्थरों से निर्मित है। प्रमुख रथ मंदिरों को सप्त पैगोडा ....
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