नृत्य कला

ऋगवेद के अनेक श्लोकों में नृत्या शब्द का प्रयोग हुआ है।

  • यजुर्वेद में भी नृत्य संबंधी सामग्री प्रचुर मात्र में उपलब्ध है। नृत्य को उस युग में व्यायाम के रूप में माना गया था।
  • शरीर को अरोग्य रखने के लिये नृत्यकला का प्रयोग किया जाता था।
  • पुराणों में भी नृत्य संबंधी घटनाओं का उल्लेख है। श्रीमद्भागवत महापुराण, शिव पुराण तथा कूर्म पुराण में भी नृत्य का उल्लेख कई विवरणों में मिला है।
  • इसका का प्राचीनतम ग्रंथ भरत मुनि का नाट्यशास्त्र है। इसका उल्लेख वेदों में भी मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि प्रागैतिहासिक काल में नृत्य की खोज हो चुकी थी। ....
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