प्राचीन काल में शल्य चिकित्सा एवं आयुर्वेद

भारतीय चिकित्सा पद्धति के विषय में सर्वप्रथम लिखित ज्ञान ‘अथर्ववेद’ में मिलता है। आयुर्वेद में धन्वंतरि संप्रदाय और सुश्रुत संप्रदाय शल्य चिकित्सा के प्रतीक माने जाते हैं।

वैदिक काल

  • वैदिक काल में वैदिक पुजारी पूजा-पाठ के साथ-साथ आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से वैद्य का काम भी किया करते थे।
  • उस काल से ही चिकित्सक सर्जन स्वास्थ्य को आध्यात्मिक जीवन का भी अभिन्न अंग मानते थे और इसी हेतु उन्होंने उपचार रोकथाम दीर्घायु और शल्य चिकित्सा का ज्ञान प्राप्त किया।
  • अथर्ववेद के ‘भैषज्य सूत्र’ में विविध रोगों के उपचार की जानकारी दी गई है।
  • अथर्ववेद में सामान्य चिकित्सा और मानसिक ....
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