शिक्षा का विकास

भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति में अनौपचारिक तथा औपचारिक दोनों प्रकार के शैक्षणिक केन्द्रों का उल्लेख प्राप्त होता है।

  • औपचारिक शिक्षा मन्दिर, आश्रमों और गुरुकुलों के माध्यम से दी जाती थी, जो उच्च शिक्षा के केन्द्र भी थे।
  • जबकि परिवार, पुरोहित, पण्डित, संन्यासी और त्यौहार प्रसंग आदि के माध्यम से अनौपचारिक शिक्षा प्राप्त होती थी।
  • शिक्षण पद्धति का आरम्भ उपनयन संस्कार से होता है। इस संस्कार के द्वारा बालक गुरु के समीप बैठकर विद्याभ्यास के लिए उसका शिष्य बनता था।
  • मनुष्य के जीवन के प्रथम 25 वर्ष के भाग को ब्रह्मचर्य आश्रम कहा जाता था। इस काल में मनुष्य ....
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