सामाजिक संरचना

  • नव पाषाणकालीन जीवनःइस काल में हुए आविष्कारों और परिवर्तनों ने मानव सभ्यता की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
    • कृषि कार्य, पशुपालन, गृह निर्माण आदि से मनुष्य को अन्य मनुष्यों के सहयोग की भी आवश्यकता पड़ती थी। इस तरह ‘समाज’ का अंकुरण हुआ।
    • कार्य विभाजन एवं आर्थिक कारणों ने समाज को वर्गों और परिवारों में विभक्त कर दिया। वर्ग के संचालन हेतु नेता’ और परिवार के संचालन के हेतु पिता की महत्ता स्वीकृत हुई।
  • सिंधु घाटी सभ्यताः इनका सामाजिक जीवन सरल, सादा, उन्नत तथा मानवीय अभिरुचियों की परिष्कृत अनुभूतियों से ओत-प्रोत था।
    • समाज की प्रधान इकाई परम्परागत परिवार ही थी।
    • प्रत्येक परिवार में माता-पिता, भाई-बहन, ....
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