विशेष श्रेणी के राज्य: अतिरिक्त वित्त की मांग
केंद्र द्वारा विशेष श्रेणी के दर्जे(SCS) का निर्धारण 1969 में पाँचवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था। पूर्व में योजना आयोग की राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा योजना के तहत सहायता के लिये विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान किया गया था।
- वर्तमान समय तक असम, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना सहित 11 राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया।
- हालांकि, 14वें वित्त आयोग ने इस श्रेणी को हटाने की सिफारिश की थी, लेकिन कुछ राज्य अभी भी इस तरह का विशेष दर्जा मांगते हैं।
अतिरिक्त वित्त की मांग
- केन्द्रीय सहायता: ....
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मुख्य विशेष
- 1 भारत के आपराधिक कानून में बदलाव: आपराधिक न्याय प्रणाली पर प्रभाव
- 2 डिजिटलीकरण: स्थानीय सरकारों के लिए एक गेम चेंजर
- 3 विकेंद्रीकृत शासन को प्रोत्साहन: छठी अनुसूची की भूमिका
- 4 नागरिक चार्टर: महत्वपूर्ण अंतराल और सुधारों की आवश्यकता
- 5 राज्यपालों की विवेकाधीन शक्तियां
- 6 भारत में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों का महत्व
- 7 पंचायती राज संस्थानों का वित्तीय सशक्तीकरण : उपाय और चुनौतियां
- 8 संविधान की 9वीं अनुसूचीः न्यायिक समीक्षा से संरक्षण
- 9 भारत में स्थानीय स्वशासन
- 10 न्यायिक बहुसंख्यकवाद एवं इससे संबंधित मुद्दे
- 11 भारत में न्यायेतर हत्याएं: मुद्दे एवं उपाय
- 12 विशेष न्यायालय: आवश्यकता एवं प्रासं गिकता
- 13 आधारभूत ढांचे का सिद्धांत
- 14 राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां
- 15 सिविल सेवा क्षमता निर्माण
- 16 सामान्य अध्ययन 100 महत्वपूर्ण विषय - संविधान एवं शासन प्रणाली (जीएस पेपर-2)