भारत में न्यायेतर हत्याएं: मुद्दे एवं उपाय
भारत में समय-समय पर न्यायेतर हत्याओं (Extra-Judicial Killings) की विश्वसनीयता और वैधता पर सवाल उठते रहे हैं, बावजूद इसके अभी भी देश में पुलिस मुठभेड़ में हुई हत्याओं (Encounter Killings) या न्यायेतर हत्याओं के खिलाफ कोई स्पष्ट कानून नहीं है।
- हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुई पुलिस मुठभेड़ की घटनाओं के कारण न्यायेतर हत्याओं का औचित्य पुनः चर्चा के केंद्र में है।
- इन न्यायेतर हत्याओं के संबंध में, कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा शक्ति के किसी भी दुरुपयोग को रोकने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उचित दिशा-निर्देश और प्रक्रियाएं निर्धारित की गई हैं।
न्यायेतर हत्याएं क्या ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
मुख्य विशेष
- 1 भारत के आपराधिक कानून में बदलाव: आपराधिक न्याय प्रणाली पर प्रभाव
- 2 डिजिटलीकरण: स्थानीय सरकारों के लिए एक गेम चेंजर
- 3 विकेंद्रीकृत शासन को प्रोत्साहन: छठी अनुसूची की भूमिका
- 4 नागरिक चार्टर: महत्वपूर्ण अंतराल और सुधारों की आवश्यकता
- 5 राज्यपालों की विवेकाधीन शक्तियां
- 6 विशेष श्रेणी के राज्य: अतिरिक्त वित्त की मांग
- 7 भारत में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों का महत्व
- 8 पंचायती राज संस्थानों का वित्तीय सशक्तीकरण : उपाय और चुनौतियां
- 9 संविधान की 9वीं अनुसूचीः न्यायिक समीक्षा से संरक्षण
- 10 भारत में स्थानीय स्वशासन
- 11 न्यायिक बहुसंख्यकवाद एवं इससे संबंधित मुद्दे
- 12 विशेष न्यायालय: आवश्यकता एवं प्रासं गिकता
- 13 आधारभूत ढांचे का सिद्धांत
- 14 राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां
- 15 सिविल सेवा क्षमता निर्माण
- 16 सामान्य अध्ययन 100 महत्वपूर्ण विषय - संविधान एवं शासन प्रणाली (जीएस पेपर-2)