भारतीय संघवाद के समक्ष नवीन चुनौतियां
भारत, क्षेत्र और जनसंख्या की दृष्टि से विशाल और विविधताओं से परिपूर्ण है, ऐसी स्थिति में भारत के लिए संघात्मक शासन व्यवस्था को अपनाना गया।
- संविधान के प्रथम अनुच्छेद में भारत के लिए ‘राज्यों का संघ’ शब्द का प्रयोग किया गया है। इस प्रणाली के अंतर्गत केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच कार्यपालिका के अधिकारों का बंटवारा किया जाता है।
- भारतीय संविधान में संघीय-शासन के लक्षण प्रमुख रूप से और एकात्मक शासन के लक्षण गौण रूप से विद्यमान हैं।
संघवाद के समक्ष नवीन चुनौतियां
- राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता की हानिः कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
मुख्य विशेष
- 1 डिजिटल स्थानीय शासन और ई-पंचायत
- 2 न्यायिक सक्रियता बनाम न्यायिक संयम
- 3 भुलाए जाने का अधिकार
- 4 समान नागरिक संहिता: आवश्यकता एवं औचित्य
- 5 सील्ड कवर डॉक्ट्रिन: गोपनीयता बनाम न्यायिक पारदर्शिता
- 6 वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र: महत्व एवं सीमाएं
- 7 कानूनों का पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होना
- 8 भारत के आपराधिक कानून में बदलाव: आपराधिक न्याय प्रणाली पर प्रभाव
- 9 डिजिटलीकरण: स्थानीय सरकारों के लिए एक गेम चेंजर
- 10 विकेंद्रीकृत शासन को प्रोत्साहन: छठी अनुसूची की भूमिका
- 11 नागरिक चार्टर: महत्वपूर्ण अंतराल और सुधारों की आवश्यकता
- 12 राज्यपालों की विवेकाधीन शक्तियां
- 13 विशेष श्रेणी के राज्य: अतिरिक्त वित्त की मांग
- 14 भारत में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों का महत्व
- 15 पंचायती राज संस्थानों का वित्तीय सशक्तीकरण : उपाय और चुनौतियां
- 16 संविधान की 9वीं अनुसूचीः न्यायिक समीक्षा से संरक्षण
- 17 भारत में स्थानीय स्वशासन
- 18 न्यायिक बहुसंख्यकवाद एवं इससे संबंधित मुद्दे
- 19 भारत में न्यायेतर हत्याएं: मुद्दे एवं उपाय
- 20 विशेष न्यायालय: आवश्यकता एवं प्रासं गिकता
- 21 आधारभूत ढांचे का सिद्धांत
- 22 राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां
- 23 सिविल सेवा क्षमता निर्माण