भारत के आपराधिक कानून में बदलाव: आपराधिक न्याय प्रणाली पर प्रभाव
1 जुलाई 2024 से भारत में तीन नवीन आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) प्रभावी हो गए हैं।
- इन कानूनों ने औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure- CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित किया है।
आपराधिक न्याय प्रणाली पर प्रभाव
- कानूनी प्रक्रियाओं में सुधार: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता परीक्षणों, अपीलों और गवाही की रिकॉर्डिंग के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे कार्यवाही के लिये वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग की अनुमति मिलती है।
- भारतीय नागरिक ....
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मुख्य विशेष
- 1 डिजिटलीकरण: स्थानीय सरकारों के लिए एक गेम चेंजर
- 2 विकेंद्रीकृत शासन को प्रोत्साहन: छठी अनुसूची की भूमिका
- 3 नागरिक चार्टर: महत्वपूर्ण अंतराल और सुधारों की आवश्यकता
- 4 राज्यपालों की विवेकाधीन शक्तियां
- 5 विशेष श्रेणी के राज्य: अतिरिक्त वित्त की मांग
- 6 भारत में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों का महत्व
- 7 पंचायती राज संस्थानों का वित्तीय सशक्तीकरण : उपाय और चुनौतियां
- 8 संविधान की 9वीं अनुसूचीः न्यायिक समीक्षा से संरक्षण
- 9 भारत में स्थानीय स्वशासन
- 10 न्यायिक बहुसंख्यकवाद एवं इससे संबंधित मुद्दे
- 11 भारत में न्यायेतर हत्याएं: मुद्दे एवं उपाय
- 12 विशेष न्यायालय: आवश्यकता एवं प्रासं गिकता
- 13 आधारभूत ढांचे का सिद्धांत
- 14 राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां
- 15 सिविल सेवा क्षमता निर्माण
- 16 सामान्य अध्ययन 100 महत्वपूर्ण विषय - संविधान एवं शासन प्रणाली (जीएस पेपर-2)