वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र: महत्व एवं सीमाएं
वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution - ARD), विवाद समाधान का एक ऐसा तंत्र है जो गैर-विरोधात्मक (Non-Adversarial) है, यानी इस तंत्र में सभी पक्ष सहयोगपूर्ण तरीके से सर्वोत्तम समाधान तक पहुंचने के लिए आपस में मिलकर काम करते हैं।
- वैकल्पिक विवाद समाधान, विवाद को हल करने के उन तरीकों को संदर्भित करता है, जो न्यायालयी मुकदमेबाजी के विकल्प हो सकते हैं।
- आमतौर पर यह तंत्र, विवाद समाधान की प्रक्रिया में एक तटस्थ तीसरे पक्ष का उपयोग करता है, जो विवाद से संबंधित पक्षों को संवाद करने, मतभेदों पर चर्चा करने तथा विवाद को हल करने में मदद करता है।
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मुख्य विशेष
- 1 डिजिटल स्थानीय शासन और ई-पंचायत
- 2 न्यायिक सक्रियता बनाम न्यायिक संयम
- 3 भारतीय संघवाद के समक्ष नवीन चुनौतियां
- 4 भुलाए जाने का अधिकार
- 5 समान नागरिक संहिता: आवश्यकता एवं औचित्य
- 6 सील्ड कवर डॉक्ट्रिन: गोपनीयता बनाम न्यायिक पारदर्शिता
- 7 कानूनों का पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होना
- 8 भारत के आपराधिक कानून में बदलाव: आपराधिक न्याय प्रणाली पर प्रभाव
- 9 डिजिटलीकरण: स्थानीय सरकारों के लिए एक गेम चेंजर
- 10 विकेंद्रीकृत शासन को प्रोत्साहन: छठी अनुसूची की भूमिका
- 11 नागरिक चार्टर: महत्वपूर्ण अंतराल और सुधारों की आवश्यकता
- 12 राज्यपालों की विवेकाधीन शक्तियां
- 13 विशेष श्रेणी के राज्य: अतिरिक्त वित्त की मांग
- 14 भारत में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों का महत्व
- 15 पंचायती राज संस्थानों का वित्तीय सशक्तीकरण : उपाय और चुनौतियां
- 16 संविधान की 9वीं अनुसूचीः न्यायिक समीक्षा से संरक्षण
- 17 भारत में स्थानीय स्वशासन
- 18 न्यायिक बहुसंख्यकवाद एवं इससे संबंधित मुद्दे
- 19 भारत में न्यायेतर हत्याएं: मुद्दे एवं उपाय
- 20 विशेष न्यायालय: आवश्यकता एवं प्रासं गिकता
- 21 आधारभूत ढांचे का सिद्धांत
- 22 राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां
- 23 सिविल सेवा क्षमता निर्माण