गंगा में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण

दिल्ली स्थित पर्यावरण से संबंधित गैर-सरकारी संगठन ‘टॉक्सिक्स लिंक’ (Toxics Link) द्वारा किए गए अध्ययन में गंगा में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण का पता चला है।

माइक्रोप्लास्टिक्सः 1 माइक्रोमीटर (माइक्रोन) से लेकर 5 मिलीमीटर तक के आकार के सिंथेटिक ठोस कणों के रूप में परिभाषित माइक्रोप्लास्टिक, पानी में अघुलनशील होते हैं।

  • माइक्रोप्लास्टिक्स को समुद्री प्रदूषण के एक प्रमुख स्रोत के रूप में माना जाता है। नदी के किनारे कई शहरों से अनुपचारित वाहित मल (Untreated sewage), औद्योगिक अपशिष्ट और गैर-अपघटनीय प्लास्टिक में लिपटे धार्मिक चढ़ावा नदी में प्रदूषकों का ढेर लगाते हैं।
  • प्लास्टिक उत्पादों और अपशिष्ट पदार्थों को नदी में छोड़ दिया जाता है या ....
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