Question : तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन के राजकीय अर्थव्यवस्था उपागम की प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिए।
(2007)
Answer : राजनीतिक अर्थव्यवस्था उपागम तुलनात्मक राजनीति की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत आर्थिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं के अंतर्संबंधों पर विचार किया जाता है। अपने मौलिक रूप में राजनीति के अध्ययन के अंतर्गत ही, आर्थिक प्रबंधन व संचालन की परंपरा रही है, परंतु एडम स्मिथ ने इसे विमुक्त कर अर्थव्यवस्था को स्वतंत्र करने की कोशिश की। एडम स्मिथ के विचारों में यह कहा गया है कि बाजार के मुक्त स्वायत भूमिका से ही विकास एवं सवृद्धि संभव है। इसी कारण से हस्तक्षेपवादी एवं विस्तृत राज्य की आलोचना, स्मिथ के लेखनों का मूलभाव है। एडम स्मिथ के पूर्वानुमानों पर 19वीं सदी में कार्ल मार्क्स ने प्रश्न उठाया। मार्क्स के अनुसार, राजनीतिक व्यवस्था का नियंत्रण उस वर्ग के द्वारा किये जाने से अर्थात् जिस वर्ग के हाथों में उत्पादन के साधनों का नियंत्रण रहेगा। ऐसी स्थिति में समृद्धि आ ही नहीं सकती। इस तरह से कार्ल मार्क्स ने एक बार फिर से अर्थव्यवस्था व राजनीति के अंतरंग संबंधों की महत्ता को स्थापित करने की कोशिश की। राजनीतिक अर्थव्यवस्था उपागम समाज में प्रचलित विचारो, मूल्यों, आदर्शों, मान्यताओं इत्यादि के आधार पर राजनीतिक व आर्थिक परिस्थितियों का अध्ययन करता है। इस उपागम की व्यापकता की पुष्टि इस तर्क पर की जाती है कि इसके अंतर्गत व्यक्तियों के पारस्परिक अन्तः क्रियाओं का अध्ययन सम्मिलित है।
वर्तमान वैश्वीकृत विश्व में तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन के अंतर्गत राजनीतिक अर्थव्यवस्था उपागम की प्रासंगिकता बढ़ गई है। विशेषकर 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् विचारधारा के अंत, जैसे सिद्धांतों के प्रतिपादन के पश्चात् सभी राज्यों ने विचारधारा के स्थान पर आर्थिक विकास एवं संवृद्धि को अपने प्रमुख लक्ष्य के रूप में घोषित किया है। इस उपागम के अंतर्गत इस बात पर भी विचार किया जाता है कि तृतीय विश्व के राज्यों में शोषण व विघटन तथा उनके संपदाओं के दोहन तथा उन पर नियंत्रण के लिये विकसित राज्यों को उत्तरदायी ठहराया जाता है।