Question : भारतीय संघवाद के भौगोलिक आधारों का परिक्षण कीजिए।
(2006)
Answer : भारत के संविधान में भारत को राज्यों का संघ कहा गया है। कुछ विद्वानों का यह मानना है कि भारत में अर्द्ध संघीय व्यवस्था पाई जाती है। जब संघ की विभिन्न इकाइयां अपनी पहचान को बनाए रखते हुए समन्वय एवं सामंजस्य स्थापित करती हैं, तो संघवाद का उदय होता है। संघवाद केन्द्रोन्मुखी तथा केन्द्रविमुखी शक्तियों के बीच समायोजन का परिणाम है। भारत का आकार काफी विशाल (32.87 लाख वर्ग किमी.) है। इतने विशाल क्षेत्रफल वाले देश में आधुनिक परिवहन एवं संचार सुविधाओं के विकास के बावजूद केन्द्रीयकरण द्वारा प्रशासन एवं आर्थिक विकास का कार्य काफी कठिन है। वर्तमान समय में भारत में 28 राज्य एवं 7 केन्द्रशासित प्रदेश हैं।
भारत का न केवल आकार विशाल है, बल्कि यहां अत्यधिक भौगोलिक विविधता भी पाई जाती है। एक ओर यहां विश्व का सर्वोच्च नवीनतम मोड़दार पर्वत है तो दूसरी ओर विश्व का प्राचीनतम पठार। विश्व का सर्वाधिक विशाल जलोढ़ मैदान एवं कई द्वीप समूह भी यहां स्थित हैं। इन भौगोलिक इकाइयों में भी अत्यधिक आंतरिक विषमता है। उदाहरण के लिए, भारतीय प्रायद्वीपीय पठार विभिन्न पर्वतों एवं नदी घाटियों के कारण अनेक खंडों में विभाजित है। एक ओर भारत में विश्व का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान स्थित है तो दूसरी ओर थार एवं लद्दाख के मरूथलीय प्रदेश में 10 सेमी. से भी कम वर्षा होती है। इन विभिन्न भौगोलिक इकाइयों में मानव-प्रकृति अंतः क्रिया के फलस्वरूप विभिन्न संस्कृतियों का विकास हुआ है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक प्रदेश में अलग-अलग प्रकार की भाषाएं एवं बोलियां बोली जाती हैं। इसी प्रकार प्रत्येक प्रदेश का अपना रीति-रिवाज, खान-पान, पर्व-त्योहार एवं आर्थिक क्रिया-कलाप हैं। इन विविधताओं के बावजूद भारत में भौगोलिक दृष्टि से एकता भी पाई जाती है। भारतीय उपमहाद्वीप की एक अलग पहचान है। यहां मानसूनी जलवायु भी एकताकारी भूमिका निभाती है।
भारत विभिन्न प्रजातियों का देश है। विभिन्न ऐतिहासिक काल में विभिन्न मार्गों से विभिन्न प्रजातियों का आगमन हुआ है। इनका केंन्द्रीकरण विभिन्न क्षेत्रों में देखने को मिलता है। आगे चलकर इन प्रजातियों में व्यापक अंतः मिश्रण हुआ, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय प्रजाति का उद्भव हुआ। उपर्युक्त विविधता में एकता ने भारत में संघवाद के विकास का आधार तैयार किया।