न्याय तक पहुँच का अधिकार पूर्णतः निरपेक्ष नहीं

जनवरी 2025 में, सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिकाकर्ता पर बार-बार निरर्थक मुकदमे दायर करने के लिए दंड लगाया। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि न्याय तक पहुँच एक मौलिक अधिकार है, लेकिन इसका दुरुपयोग रोका जाना चाहिए।

  • न्याय तक पहुँच का अर्थ है कि सभी नागरिक कानूनी संस्थाओं के माध्यम से निष्पक्ष, सुलभ तथा समयबद्ध न्याय प्राप्त कर सकें।

संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 14: समानता का अधिकार।
  • अनुच्छेद 21: जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।
  • अनुच्छेद 32: संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
  • अनुच्छेद 226: उच्च न्यायालयों की रिट क्षेत्राधिकार की शक्ति।
  • अनुच्छेद 39A: निःशुल्क कानूनी सहायता (राज्य नीति निदेशक सिद्धांत)।

महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय

  • अनीता कुशवाहा बनाम ....
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