सामाजिक सामंजस्य पर सांप्रदायिकता की चुनौतियां और निहितार्थ
सांप्रदायिकता एक विचारधारा है जिसके अनुसार कोई समाज भिन्न-भिन्न हितों से युक्त विभिन्न धार्मिक समुदायों में विभाजित होता है। सांप्रदायिकता समाज के विभिन्न धर्मों, जातियों या समूहों के बीच अविश्वास, घृणा और हिंसा को बढ़ावा देने वाला विचारधारा है। यह सामाजिक सामंजस्य के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
- सांप्रदायिकता एक गंभीर समस्या है जो समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है और यह एक समृद्ध और समावेशी समाज के निर्माण में बाधा है।
चुनौतियां
- धार्मिक असहिष्णुता: सांप्रदायिकता धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देती है। जब एक समुदाय दूसरे समुदाय के धर्म, परंपराओं और रीति-रिवाजों ....
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मुख्य विशेष
- 1 पारंपरिक ज्ञान प्रणाली
- 2 कृषि का नारीकरण
- 3 क्षेत्रवाद की चुनौती : सांस्कृतिक मुखरता और असमान क्षेत्रीय विकास
- 4 ग्रामीण महिलाएं: आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्व
- 5 वैश्वीकरण के सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक प्रभाव
- 6 सामाजिक मूल्यों पर बढ़ती सांप्रदायिकता का प्रभाव
- 7 भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िबद्धता
- 8 महिलाओं के लिए स्वामित्व का अधिकार: मुद्दे एवं समाधान
- 9 पॉपुलेशन एजिंग: चुनौतियां एवं सामाजिक निहितार्थ
- 10 महिलाओं की श्रम बल में घटती भागीदारी: कारण एवं सुझाव
- 11 भारत में आंतरिक प्रवासन
- 12 परंपरागत जनजातीय समाज पर भूमंडलीकरण के प्रभाव
- 13 भारत में बढ़ती असमानता : कारण एवं निवारण
- 14 भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशिष्टता
- 15 शहरीकरण: महिलाओं का सशक्तीकरण एवं चुनौतियां
- 16 भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िवादिता
- 17 जाति आधारित जनगणना: सामाजिक निहितार्थ
- 18 वैश्वीकरण: भारतीय समाज पर सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव
- 19 आधुनिक भारतीय समाज की परिवर्तनशील गत्यात्मकता
- 20 बलात् विस्थापन: कारण एवं समाधान
- 21 धर्मांतरण एवं भारतीय समाज
- 22 समान नागरिक संहिता: आवश्यकता एवं व्यवहार्यता
- 23 ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को पुनर्जीवित करना
- 24 भारत में सहकारिता का महत्व
- 25 शहरीकरण के सामाजिक परिणाम
- 26 भारत में अल्पसंख्यक: चुनौतियां और सुरक्षा उपाय
- 27 राष्ट्रवाद बनाम क्षेत्रवाद