महिलाओं की श्रम बल में घटती भागीदारी: कारण एवं सुझाव
किसी देश में महिलाओं की श्रम में भागीदारी की दर उस देश की विकास क्षमता को इंगित करती है। श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला केंद्रित नीति निर्माण के साथ एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जहां महिलाओं को एक निष्क्रिय लाभार्थियों के रूप में नहीं बल्कि समाज के लिए संभावित योगदानकर्ताओं के रूप में देखा जाए।
- भारत में महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर (female labor force participation rate - FLFPR) पिछले 2 दशकों में तेजी से गिर रही है। ILO के अनुसार, यह 2000 में लगभग 30.5% से 2019 में 21.1% (पूर्व-महामारी) और 2020 में 18.6% ....
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मुख्य विशेष
- 1 पारंपरिक ज्ञान प्रणाली
- 2 कृषि का नारीकरण
- 3 क्षेत्रवाद की चुनौती : सांस्कृतिक मुखरता और असमान क्षेत्रीय विकास
- 4 ग्रामीण महिलाएं: आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्व
- 5 वैश्वीकरण के सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक प्रभाव
- 6 सामाजिक मूल्यों पर बढ़ती सांप्रदायिकता का प्रभाव
- 7 भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िबद्धता
- 8 महिलाओं के लिए स्वामित्व का अधिकार: मुद्दे एवं समाधान
- 9 पॉपुलेशन एजिंग: चुनौतियां एवं सामाजिक निहितार्थ
- 10 भारत में आंतरिक प्रवासन
- 11 परंपरागत जनजातीय समाज पर भूमंडलीकरण के प्रभाव
- 12 भारत में बढ़ती असमानता : कारण एवं निवारण
- 13 भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशिष्टता
- 14 शहरीकरण: महिलाओं का सशक्तीकरण एवं चुनौतियां
- 15 भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िवादिता
- 16 सामाजिक सामंजस्य पर सांप्रदायिकता की चुनौतियां और निहितार्थ
- 17 जाति आधारित जनगणना: सामाजिक निहितार्थ
- 18 वैश्वीकरण: भारतीय समाज पर सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव
- 19 आधुनिक भारतीय समाज की परिवर्तनशील गत्यात्मकता
- 20 बलात् विस्थापन: कारण एवं समाधान
- 21 धर्मांतरण एवं भारतीय समाज
- 22 समान नागरिक संहिता: आवश्यकता एवं व्यवहार्यता
- 23 ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को पुनर्जीवित करना
- 24 भारत में सहकारिता का महत्व
- 25 शहरीकरण के सामाजिक परिणाम
- 26 भारत में अल्पसंख्यक: चुनौतियां और सुरक्षा उपाय
- 27 राष्ट्रवाद बनाम क्षेत्रवाद