परंपरागत जनजातीय समाज पर भूमंडलीकरण के प्रभाव
वैश्विक स्तर पर सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक व्यवस्था से मिश्रित एक ऐसी दशा जिसमें बाजार की शक्तियों का व्यापक प्रभाव होता है भूमंडलीकरण कहलाता है। मानवीय जनसंख्या में वृद्धि तथा औद्योगिक क्रांति के पश्चात भूमंडलीकरण को व्यापक रूप से बढ़ावा मिला है। इससे उपभोक्तावाद की संस्कृति को बढ़ावा, राष्ट्र एवं राज्यों की संप्रभुता में कमी तथा आर्थिक दशाओं को व्यापक महत्व प्राप्त हुआ है।
- वर्तमान समय में विश्व का कोई भी देश अथवा समाज भूमंडलीकरण की प्रक्रिया से अछूता नहीं रहा है। भारत में 1990 के दशक में भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को अपनाया गया था। इसके बाद से ही, समाज ....
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मुख्य विशेष
- 1 पारंपरिक ज्ञान प्रणाली
- 2 कृषि का नारीकरण
- 3 क्षेत्रवाद की चुनौती : सांस्कृतिक मुखरता और असमान क्षेत्रीय विकास
- 4 ग्रामीण महिलाएं: आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्व
- 5 वैश्वीकरण के सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक प्रभाव
- 6 सामाजिक मूल्यों पर बढ़ती सांप्रदायिकता का प्रभाव
- 7 भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िबद्धता
- 8 महिलाओं के लिए स्वामित्व का अधिकार: मुद्दे एवं समाधान
- 9 पॉपुलेशन एजिंग: चुनौतियां एवं सामाजिक निहितार्थ
- 10 महिलाओं की श्रम बल में घटती भागीदारी: कारण एवं सुझाव
- 11 भारत में आंतरिक प्रवासन
- 12 भारत में बढ़ती असमानता : कारण एवं निवारण
- 13 भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशिष्टता
- 14 शहरीकरण: महिलाओं का सशक्तीकरण एवं चुनौतियां
- 15 भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िवादिता
- 16 सामाजिक सामंजस्य पर सांप्रदायिकता की चुनौतियां और निहितार्थ
- 17 जाति आधारित जनगणना: सामाजिक निहितार्थ
- 18 वैश्वीकरण: भारतीय समाज पर सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव
- 19 आधुनिक भारतीय समाज की परिवर्तनशील गत्यात्मकता
- 20 बलात् विस्थापन: कारण एवं समाधान
- 21 धर्मांतरण एवं भारतीय समाज
- 22 समान नागरिक संहिता: आवश्यकता एवं व्यवहार्यता
- 23 ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को पुनर्जीवित करना
- 24 भारत में सहकारिता का महत्व
- 25 शहरीकरण के सामाजिक परिणाम
- 26 भारत में अल्पसंख्यक: चुनौतियां और सुरक्षा उपाय
- 27 राष्ट्रवाद बनाम क्षेत्रवाद