वैश्वीकरण के सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक प्रभाव
अमेरिकी अर्थशास्त्री एडवर्ड एस. हरमन के अनुसार ‘‘वैश्वीकरण प्रबंधन और प्रक्रिया की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का विस्तार है। साथ ही यह सुविधाओं और आर्थिक स्थिति की एक दशा है, जो लगातार विस्तृत हो रही है और साथ ही बदल रही है।’’
- सिद्धांततः वैश्वीकरण एक जटिल आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक प्रक्रिया है, जिसमें पूंजी, संगठनों, विचारों, विमर्शों और लोगों की गतिशीलता ने एक विश्वव्यापी या मूल्य-आधारित संरचना को प्राप्त किया है।
- यद्यपि वैश्वीकरण की उत्पत्ति के लिए सिर्फ कोई एक कारण उत्तरदायी नही है, फिर भी सूचना प्रौद्योगिकी एवं लोगों की सोच में विश्वव्यापी जुडाव का बढना महत्वपूर्ण कारण है। वैश्वीकरण ....
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मुख्य विशेष
- 1 पारंपरिक ज्ञान प्रणाली
- 2 कृषि का नारीकरण
- 3 क्षेत्रवाद की चुनौती : सांस्कृतिक मुखरता और असमान क्षेत्रीय विकास
- 4 ग्रामीण महिलाएं: आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्व
- 5 सामाजिक मूल्यों पर बढ़ती सांप्रदायिकता का प्रभाव
- 6 भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िबद्धता
- 7 महिलाओं के लिए स्वामित्व का अधिकार: मुद्दे एवं समाधान
- 8 पॉपुलेशन एजिंग: चुनौतियां एवं सामाजिक निहितार्थ
- 9 महिलाओं की श्रम बल में घटती भागीदारी: कारण एवं सुझाव
- 10 भारत में आंतरिक प्रवासन
- 11 परंपरागत जनजातीय समाज पर भूमंडलीकरण के प्रभाव
- 12 भारत में बढ़ती असमानता : कारण एवं निवारण
- 13 भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशिष्टता
- 14 शहरीकरण: महिलाओं का सशक्तीकरण एवं चुनौतियां
- 15 भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िवादिता
- 16 सामाजिक सामंजस्य पर सांप्रदायिकता की चुनौतियां और निहितार्थ
- 17 जाति आधारित जनगणना: सामाजिक निहितार्थ
- 18 वैश्वीकरण: भारतीय समाज पर सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव
- 19 आधुनिक भारतीय समाज की परिवर्तनशील गत्यात्मकता
- 20 बलात् विस्थापन: कारण एवं समाधान
- 21 धर्मांतरण एवं भारतीय समाज
- 22 समान नागरिक संहिता: आवश्यकता एवं व्यवहार्यता
- 23 ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को पुनर्जीवित करना
- 24 भारत में सहकारिता का महत्व
- 25 शहरीकरण के सामाजिक परिणाम
- 26 भारत में अल्पसंख्यक: चुनौतियां और सुरक्षा उपाय
- 27 राष्ट्रवाद बनाम क्षेत्रवाद