मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य : संबंधित मुद्दे एवं सामंजस्यता
भारतीय संविधान ने भारत के नागरिकों को कुछ अधिकारों की गारंटी दी है जिन्हें मौलिक अधिकार के रूप में जाना जाता है।
- मौलिक अधिकार सभी नागरिकों के मूल मानवाधिकार हैं, जिन्हें संविधान के भाग III (तीन) में परिभाषित किया गया है जो किसी व्यक्ति की जाति, जन्म स्थान, धर्म, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना लागू होते हैं।
- 1976 में, सरदार स्वर्ण सिंह समिति की स्थापना मौलिक कर्तव्यों की अनुशंसा करने के लिए की गई थी, जिसकी आवश्यकता आपातकाल की अवधि के दौरान महसूस की गई थी।
- इस समिति ने मौलिक कर्तव्यों के शीर्षक के तहत संविधान में अलग खंड को शामिल ....
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मुख्य विशेष
- 1 लोक सेवा में मूल्यों का संकट
- 2 भारत में लोक सेवा मूल्यों की स्थिति
- 3 लोक सेवा में मूल्यों का विकास
- 4 लोक सेवा मूल्यों के समक्ष चुनौतियां
- 5 मूल्यों का संघर्ष
- 6 लोक सेवा के लिए महत्वपूर्ण मूल्य
- 7 लोक सेवा में मूल्य सुशासन का आधार
- 8 ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थानों की भूमिका को बढ़ाने वाली पहलें
- 9 स्थानीय स्वशासन से संबंधित मुद्दे
- 10 स्वास्थ्य प्रबंधन में भूमिकाः कोविड-19 प्रबंधन एवं टीकाकरण
- 11 ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थानों की भूमिका एवं महत्व
- 12 स्थानीय स्वशासन ग्रामीण विकास की बुनियाद
- 13 आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार
- 14 आवश्यक धार्मिक प्रथाएं और संबंधित मुद्दे
- 15 दलबदल कानून एवं आंतरिक दलीय लोकतंत्र
- 16 संसदीय समितियां
- 17 एक राष्ट्र, एक चुनाव
- 18 ई-गवर्नेंस में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी
- 19 विधि का शासन एवं लोकतंत्र
- 20 सिविल सेवा में सुधार
- 21 डिजिटल संप्रभुताः महत्व और उठाए गए कदम
- 22 आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
- 23 15वां वित्त आयोग : प्रमुख सिफारिशें तथा उत्पन्न मुद्दे
- 24 अंतरराज्यीय नदी जल विवादः उपबंध एवं सुझाव
- 25 चुनाव सुधार : आवश्यकता एवं प्रभाव
- 26 अन्तः दलीय लोकतंत्र : चुनौतियां एवं महत्व
- 27 राष्ट्रीय डेटा शासन नीतिः मुद्दे और लाभ
- 28 राज्यपाल और वास्तविक संघवाद की मांग
- 29 भारत में नदी जल विवादः समस्याएं और समाधान
- 30 कार्यकारी विधायी शक्ति और इसकी प्रासंगिकता
- 31 भारत में न्यायिक अवसंरचना
- 32 प्रत्यायोजित विधान: संवैधानिक वैधता एवं मुद्दे
- 33 लोक प्रशासन