लोक सेवा में मूल्यों का संकट

प्रत्येक देश में लोक सेवकों के कार्य का एक ‘नैतिक दर्शन’ (Ethical Philosophy) होता है, जो उनके लिए मार्ग निर्देशक का कार्य करता है। लोक सेवकों की मूल्य प्रणाली विभिन्न ‘सांस्कृतिक मानदंडों’(Cultural Standards), शिक्षा तथा संविधान तथा अन्य कानूनों से निर्धारित होती है।

  • भारत में लोक सेवा लंबे समय से मूल्यों के संकट से गुजर रही है। राजनीति से लेकर सिविल सेवा तथा न्यायपालिका में ‘भ्रष्टाचार’(Corruption), भाई-भतीजावाद तथा अन्य भ्रष्ट गतिविधियां इतनी व्यापक हैं कि इन्हें सामान्य मानकर स्वीकार कर लिया गया है।
  • भारतीय लोक सेवा में मूल्यों के संकट के लिए उत्तरदायी कारक इस प्रकार हैं:
    • राजनीतिक संस्कृतिः ‘इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट’ (Economist ....
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