भारत में लोक सेवा मूल्यों की स्थिति
भारत में लोक सेवा मूल्यों को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं। राजनेताओं, न्यायाधीशों तथा सिविल सेवकों सभी के लिए ‘मूल्यों के सम्मुचय’(Set of Values) की आवश्यकता लंबे समय से रही है। हालांकि सिविल सेवकों के आचरण के निर्देशन के लिए कानूनी प्रावधान किए गए हैं परंतु उनमें मूल्यों का समावेशन नहीं किया गया है।
- भारत में, लोक सेवा मूल्यों का विकास वर्षों की परंपरा के पश्चात हुआ है। इन मूल्यों को आचरण संहिता सहित विभिन्न नियमों तथा विनियमों में सम्मिलित किया गया है। प्रवर्तनीय मानदंडों का वर्तमान सेट ‘आचरण नियम’ हैं जिन्हें ‘केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम ....
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मुख्य विशेष
- 1 लोक सेवा में मूल्यों का संकट
- 2 लोक सेवा में मूल्यों का विकास
- 3 लोक सेवा मूल्यों के समक्ष चुनौतियां
- 4 मूल्यों का संघर्ष
- 5 लोक सेवा के लिए महत्वपूर्ण मूल्य
- 6 लोक सेवा में मूल्य सुशासन का आधार
- 7 ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थानों की भूमिका को बढ़ाने वाली पहलें
- 8 स्थानीय स्वशासन से संबंधित मुद्दे
- 9 स्वास्थ्य प्रबंधन में भूमिकाः कोविड-19 प्रबंधन एवं टीकाकरण
- 10 ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थानों की भूमिका एवं महत्व
- 11 स्थानीय स्वशासन ग्रामीण विकास की बुनियाद
- 12 आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार
- 13 आवश्यक धार्मिक प्रथाएं और संबंधित मुद्दे
- 14 दलबदल कानून एवं आंतरिक दलीय लोकतंत्र
- 15 संसदीय समितियां
- 16 एक राष्ट्र, एक चुनाव
- 17 ई-गवर्नेंस में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी
- 18 विधि का शासन एवं लोकतंत्र
- 19 सिविल सेवा में सुधार
- 20 डिजिटल संप्रभुताः महत्व और उठाए गए कदम
- 21 आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
- 22 15वां वित्त आयोग : प्रमुख सिफारिशें तथा उत्पन्न मुद्दे
- 23 अंतरराज्यीय नदी जल विवादः उपबंध एवं सुझाव
- 24 चुनाव सुधार : आवश्यकता एवं प्रभाव
- 25 अन्तः दलीय लोकतंत्र : चुनौतियां एवं महत्व
- 26 मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य : संबंधित मुद्दे एवं सामंजस्यता
- 27 राष्ट्रीय डेटा शासन नीतिः मुद्दे और लाभ
- 28 राज्यपाल और वास्तविक संघवाद की मांग
- 29 भारत में नदी जल विवादः समस्याएं और समाधान
- 30 कार्यकारी विधायी शक्ति और इसकी प्रासंगिकता
- 31 भारत में न्यायिक अवसंरचना
- 32 प्रत्यायोजित विधान: संवैधानिक वैधता एवं मुद्दे
- 33 लोक प्रशासन