15वां वित्त आयोग : प्रमुख सिफारिशें तथा उत्पन्न मुद्दे
एन. के. सिंह की अध्यक्षता वाले 15वें वित्त आयोग ने 9 नवंबर, 2020 को वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक की अवधि के लिए 'कोविड काल में वित्त आयोग' (Finance Commission in Covid Times) नामक शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी।
- विचारार्थ विषय की शर्तों (ToR) के अनुसार आयोग को वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक यानी 5 वर्ष की अवधि के लिए 30 अक्टूबर, 2020 तक अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करना अनिवार्य था।
प्रमुख सिफारिशें
- राज्यों की हिस्सेदारी: 15वें वित्त आयोग ने राज्यों की हिस्सेदारी को 41 प्रतिशत बनाए रखने की सिफारिश की है| राज्यों को 41 प्रतिशत हिस्सेदारी के तहत ....
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मुख्य विशेष
- 1 लोक सेवा में मूल्यों का संकट
- 2 भारत में लोक सेवा मूल्यों की स्थिति
- 3 लोक सेवा में मूल्यों का विकास
- 4 लोक सेवा मूल्यों के समक्ष चुनौतियां
- 5 मूल्यों का संघर्ष
- 6 लोक सेवा के लिए महत्वपूर्ण मूल्य
- 7 लोक सेवा में मूल्य सुशासन का आधार
- 8 ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थानों की भूमिका को बढ़ाने वाली पहलें
- 9 स्थानीय स्वशासन से संबंधित मुद्दे
- 10 स्वास्थ्य प्रबंधन में भूमिकाः कोविड-19 प्रबंधन एवं टीकाकरण
- 11 ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थानों की भूमिका एवं महत्व
- 12 स्थानीय स्वशासन ग्रामीण विकास की बुनियाद
- 13 आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार
- 14 आवश्यक धार्मिक प्रथाएं और संबंधित मुद्दे
- 15 दलबदल कानून एवं आंतरिक दलीय लोकतंत्र
- 16 संसदीय समितियां
- 17 एक राष्ट्र, एक चुनाव
- 18 ई-गवर्नेंस में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी
- 19 विधि का शासन एवं लोकतंत्र
- 20 सिविल सेवा में सुधार
- 21 डिजिटल संप्रभुताः महत्व और उठाए गए कदम
- 22 आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
- 23 अंतरराज्यीय नदी जल विवादः उपबंध एवं सुझाव
- 24 चुनाव सुधार : आवश्यकता एवं प्रभाव
- 25 अन्तः दलीय लोकतंत्र : चुनौतियां एवं महत्व
- 26 मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य : संबंधित मुद्दे एवं सामंजस्यता
- 27 राष्ट्रीय डेटा शासन नीतिः मुद्दे और लाभ
- 28 राज्यपाल और वास्तविक संघवाद की मांग
- 29 भारत में नदी जल विवादः समस्याएं और समाधान
- 30 कार्यकारी विधायी शक्ति और इसकी प्रासंगिकता
- 31 भारत में न्यायिक अवसंरचना
- 32 प्रत्यायोजित विधान: संवैधानिक वैधता एवं मुद्दे
- 33 लोक प्रशासन