ट्रांसजेंडर अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) ने ट्रांसजेंडर के मुद्दे को न्यायिक मुख्यधारा में लाने का काम किया है। नालसा (NALSA) ने ट्रांसजेंडर की समस्याओं के समाधान के लिए 2014 में जनहित याचिका (पीआईएल) दर्ज किया था जो विशेष रूप से ट्रांसजेंडर व्यक्ति के अधिकार संबंधित था। नालसा ने अपनी याचिका में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार दिया गया इसलिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। 15 अप्रैल, 2014 को नालसा बनाम भारत सरकार के केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

विशेष